यज्ञादि अग्निक्रियाओं में अग्निचक्र का ज्ञान
अग्नि चक्र के ज्ञान हेतु सूर्य नक्षत्र से चन्द्र नक्षत्र तक गणना करनी चाहिए, अर्थात सूर्य नक्षत्र से चन्द्र नक्षत्र को घटा देना चाहिए। यदि चन्द्र नक्षत्र की संख्या सूर्य से पूर्व हो तो चन्द्रनक्षत्र में 27 जोडकर उसे सूर्य नक्षत्र संख्या से घटा देना चाहिए। जितना गणना करके आये उसमें 3 का भाग दे देना चाहिए। जो लब्धि प्राप्त हो उसे इस अग्निचक्र में देखें, यथा लब्धि 7 हो तो 7: "🟡 बृहस्पति - अग्निचक्र बृहस्पति में होने से यज्ञादि कर्म अत्यन्त कल्याणप्रद"। यज्ञ करना अत्यन्त अत्यन्त कल्याणप्रद होगा।