मंत्र और ध्वनि का गूढ़ रहस्य
मंत्रजप अपने आप में एक विज्ञान है। मंत्रजप में केवल मंत्र की frequency का ही महत्व नहीं है, क्योंकि यदि ऐसा हो तो टेप पर चलने वालें मंत्र और मनुष्य …
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मंत्रजप अपने आप में एक विज्ञान है। मंत्रजप में केवल मंत्र की frequency का ही महत्व नहीं है, क्योंकि यदि ऐसा हो तो टेप पर चलने वालें मंत्र और मनुष्य …
हमने कुछ समय पूर्व कुम्भ शिविर में वेदान्त से सम्बन्धित शिक्षण दिया था जिसमें की वास्तव में वेदान्त का क्या निष्कर्ष निकलता है एवं व्यवहारिक रूप में भी उसका क्या …
बौद्धों का दर्शन है कि संसार में कुछ भी अपरिवर्तनशील नहीं है। सबकुछ बदल रहा है, अर्थात सबकुल क्षणिक है। विज्ञान के अनुसार भी 5 से 7 वर्ष में शरीर …
दूर श्रवण हेतु दो सम्भावनायें हैं या तो आपका कान ध्वनि तक पहुंचे अथवा ध्वनि आपके कान तक पहुंचे। ध्वनि को आपके कान तक पहुंचने की लिए माध्यम की आवश्यकता …
आकाश का गुण शब्द कैसे है जब आकाश में ध्वनि का संचार सम्भव ही नहीं? शब्द और ध्वनि में क्या भेद है? मंत्रों से सिद्धि कैसे प्राप्त होती है? शंका …
मनुष्यों के देवताओं की अवज्ञा एवं अविनय पूर्ण व्यवहार, शास्त्रविरुद्ध कार्यों से जो पाप एकत्रित होता है, उससे ही उपद्रव होते हें एवं दिव्य, आन्तरिक्ष और भौम नामक उत्पात उन …
ब्रह्मसूत्र ‘सर्वापेक्षा च यज्ञादिश्रुतेरश्ववत्’ इस बात की पुष्टि करता है कि ब्रह्मविद्या की उत्पत्ति में स्ववर्णाश्रमविहित कर्मों का महत्त्व है। हालाँकि, ब्रह्मविद्या फल देने में कर्मनिरपेक्ष मानी जाती है, लेकिन …
मोक्ष (मुक्ति) का विचार भारतीय दर्शन के प्रमुख विषयों में से एक है। इसकी परिभाषा और प्रकृति पर विभिन्न मत प्रस्तुत किए गए हैं, लेकिन वैदिक परंपरा और श्रुतियों के …
सनातन धर्म की परंपरा में श्रुति (वेद) और स्मृति (धर्मशास्त्र, पुराण आदि) का स्थान सर्वोपरि है। श्रुति को अपौरुषेय और सर्वोच्च माना जाता है, जबकि स्मृति और पुराण श्रुति के …
किसी भी विधि का फल या तो विधिवाक्य में ही होगा यथा अग्निहोत्रं जुहूयात् स्वर्गकामः। जहां फल न दिया हो वहां 'विश्वजिन्न्याय' से स्वर्गफल मान लिया जाता है, यत्र च …
दुर्गा कलि काल में भी शीघ्रफलदायनी है। इसके विभिन्न स्वरूपों में विभिन्न शक्तियों निहित हैं। गृहस्थ साधकों के लिए ये कल्पवृक्ष है। माहिष बलि से एवं महिष के सिर को …