डायलेशन आफ टाइम द फोर्थ डायमेन्शन, एवं ब्रह्मलोक
नमश्शिवाय
डायलेशन आफ टाइम द फोर्थ डायमेन्शन, एवं ब्रह्मलोक
क्या ब्रह्मलोक भौतिक लोक है जहां गति अथवा गुरुत्वाकर्षण के कारण टाइम डायलेशन हो रहा है?
टाइम एवं स्पेस इन दो आयामों को समझना चाहिए। स्पेस तो दृष्ट है तथापि टाइम अनुभव में तो आता है किन्तु दृष्ट नहीं है। यह चतुर्थ आयाम है। चेतना के अतिरिक्त कोई भी वस्तु व्यवाहारिक सत्ता में टाइम एवं स्पेस में ही अस्तित्व में हो सकती है। किसी की भी स्थिती जानने के लिए आपको उसकी स्पेस एवं समय दोनों में स्थिति ज्ञात होनी चाहिए।
यथा हम कहते हैं कि मैं 30 अंश Latitude एवं 78 अंश Longitude 600 मीटर Altitude पर मिलूंगा, तो प्रश्न होगा कब? अर्थात स्पेस में, थ्री डायमेन्शन में तो आपने अपनी स्थिति बता दी, आपने Latitude, Longitude, Altitude तो बता दिया किन्तु कोई भी वस्तु वास्तव में चार आयामों में ही अस्तित्व में होती है। समय चौथा आयाम है, Latitude, Longitude, Altitude के अतिरिक्त आपको समय में भी अपनी स्थिति बतानी होगी। आपको बताना होगा 30 अंश Latitude एवं 78 अंश Longitude 600 मीटर Altitude पर 3.40 पीएम को मिलूंगा तो आपकी स्थिति ज्ञात हो पायेगी।
इसी प्रकार कहें कि 3.40 पीएम पर मिलूंगा तो प्रश्न होगा कहां? आपको स्पेस में अपनी स्थिति बतानी होगी।
ये समय आयाम बडा रहस्यमय है। स्पेस में तो आप ऐच्छिक गति करते हैं तथापि समय में आपकी गति ऐच्छिक नहीं है। आप प्रकाश की गति से समय में गति करते हो। तो कोई भी स्थिर वस्तु समय में प्रकाश की गति से गति कर रही होती है। जैसे जैसे हमारी स्पेस में गति बढती है वैसे वैसे समय में में हमारी गति कम होती है। इसे ही टाइम डायलेशन कहते हैं। जितनी गति आपकी स्पेस में बढेगी उतनी समय में आपकी गति कम होगी। यदि आप प्रकाश की गति से गति करते हैं तो समय में आपकी गति शून्य हो जाती है।
यदि आप प्रकाश की गति से अधिक गति से गति करते हो तो? समय में आपकी गति वर्तमान से भूतकाल की ओर होनी चाहिए? विपरीत गति? तथापि प्रकाश की शून्य में गति एक अधिकतम गति की सीमा मानी गयी है जिससे तीव्र गति हो पाना सम्भव नहीं क्योंकि इससे समय आयाम में विपरीत गति प्रारम्भ हो जायेगी। आप वर्तमान से भूतकाल में गति करने लगेंगे। किसी प्रकार से यह गति अगर उत्पन्न कर ली जाये तो टाईम मशीन की संकल्पना पूर्ण हो सकती है। तथापि भूतकाल में गति होने पर बहुत सारे विरोधाभास उत्पन्न हो जाते हैं।
इसके अतिरिक्त भी कोई भी वस्तु जिसका भार हो उसे प्रकाश के बराबर गति पकडने हेतु अनन्त उर्जा की आवश्यकता होती है। जो कि सम्भव नहीं।
गुरुत्वाकर्षण के कारण टाइम डायलेशन
इसका सूत्र है:
t' = t / √(1 - (2GM) / (rc²))
गति के कारण टाइम डायलेशन
इसका सूत्र है:
Δt' = Δt / √(1 - v²/c²)
ब्रह्मलोक की सम्भावना
अब इन सूत्रो की सहायता से आप ब्रह्मलोक का गुरुत्वाकर्षण एवं मास ज्ञात करने का प्रयास करते हैं क्योंकि हमें यह ज्ञात है कि ब्रह्मा जी का एक वर्ष 31.10 खरब मानुष वर्षों के होता है।
अगर इसे भौतिक ग्रह मानें तो कोई भी ग्रह, चाहे वह पृथ्वी, बृहस्पति या सूर्य जितना बड़ा हो, इतना Lorentz Factor उत्पन्न नहीं कर सकता। केवल एक **सुपरमैसिव ब्लैकहोल** ही ऐसा कर सकता है।
दूसरी स्थिति मानें कि यह टाइम डायलेशन गति से उत्पन्न हो रहा है। यदि ऐसा मानें तो Lorentz Factor (γ) of 31.1 trillion (31.1 × 10¹²) उत्पन्न करने हेतु यदि ब्रह्मलोक का द्रव्यमान एवं रेडियस पृथ्वी का आधा भी मानें तो
KE ≈ 1.99 × 10³⁹ Megatons of TNT
उर्जा की आवश्यकता होगी। यह सारे ब्रह्माण्ड के सारे उर्जा स्रोतों से उत्पन्न होने वाली उर्जा से भी कई अधिक है।
अतः ब्रह्मलोक का कोई भौतिक लोक होना सम्भव नहीं जहां गुरुत्वाकर्षण अथवा गति के कारण टाइम डायलेशन हो रहा हो।
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