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मंत्र और ध्वनि का गूढ़ रहस्य

Secrets of Sound and Mantra

नमश्शिवाय,

मंत्रजप अपने आप में एक विज्ञान है। मंत्रजप में केवल मंत्र की frequency का ही महत्व नहीं है, क्योंकि यदि ऐसा हो तो टेप पर चलने वालें मंत्र और मनुष्य के द्वारा जप किये जा रहे मंत्र में कोई अन्तर नहीं होगा। इतना ही नहीं यदि उतनी frequency ही यंत्र द्वारा उत्पन्न की जाये तो उसका भी वहीं प्रभाव होना चाहिए जो मंत्र का है? मंत्र की कोई विशिष्टता रहेगी ही नहीं।

मंत्र में frequency के अतिरिक्त भी जपकर्ता का संकल्प उसकी प्राणशक्ति मंत्र में रहती है जो अद्भुत प्रभाव दिखाती है, तथापि frequency का भी प्रभाव होता है यह भी सत्य है।

ध्वनि की जो frequency होती है उसमें मनुष्य 20 to 20,000 Hz कि frequency की ध्वनि सुन सकता है। उपांशुजप भी 50Hz के उपर की frequency होती है। जो कि 50 — 100 मीटर तक जा सकती है, वहां तक उसे डिटेक्ट किया जा सकता है। सामन्य कीर्तन आदि की आवाज 200 मीटर तक जा सकती है।

Infrasound और मंत्र शक्ति

उसमें एक होती है Infrasound जिसकी frequency 20 Hz से कम होती है। अगर हम कुछ अपने स्वरग्रन्थि के विशिष्ट अभ्यास करें तो प्रणव के म्कार की humming जो होती है उसमें हम 10-20 Hz की ध्वनि निकाल सकते हैं। ये Infrasound 1—2 किमी तक जा सकती है एवं उतने क्षेत्र को प्रभावित कर सकती है।

तिब्बती लामा एक विशेष प्रकार की chanting का अभ्यास करते हैं जिसे वे throat chanting कहते हैं। इसमें भ्रमर सी गुंजन एवं deep bass होती है। उनकी स्वरग्रन्थि का अभ्यास हो जाता है कि वो डीप chanting में 5-10 की Infrasound निकाल लेते हैं। जिसकी कम्पन 5 किमी तक चले जाती है। ऐसी कम्पन गर्भगृह की वास्तुशैली के कारण भी उत्पन्न होती हैं।

ये Infrasound हमारे कान तो नहीं सुन सकते किन्तु हमारा शरीर, हमारा मस्तिष्क इन तरंगों को, इन कम्पनों को अनुभव करता है। रिद्मिक डीप chanting भले ही सुनायी न दे किन्तु कई किमी तक अपना प्रभाव दिखा सकती है।

ध्यान और ध्वनि की संगति

जब हम गहन ध्यान की अवस्था में होते हैं तो मस्तिष्क की स्टेट Theta Wave (4-8 Hz) में रहती है। उस समय मस्तिष्क में थीटा वेब एक्टिव रहती हैं। डीप रिद्मिक Infrasound chanting इनको स्टिमूलेट कर आपको गहन ध्यान में प्रवेश करने में सहायक हो सकती हैं।

इसी कारण जहां इस प्रकार की ध्वनियां हों वहां बहुत दूर से ही शान्ति का अनुभव होने लगता है। ऐसे स्थानों पर ध्यानादि बहुत प्रगाढ लगता है क्योंकि मस्तिष्क की Theta Wave एवं Infrasound जब synchronize होती हैं तो परिणाम बहुत गुना बढकर प्राप्त होते हैं। मस्तिष्क Delta ~0.5-4 Hz पर शिफ्ट हो जाता है जो कि डीपस्लीप वेब स्टेट होती है, जिसमें कि सर्वाधिक हीलिंग होती है।

Resonance Effect और मंत्र शक्ति

जिसप्रकार कदम मिलाकर चलने से कम्पन synchronize होकर सामूहिक कम्पन (Resonance Effect) उत्पन्न करते हैं, जिससे उर्जा बहुत अधिक बढ जाती है, उसी प्रकार किसी विशिष्ट मंत्र का जप करते समय, उस मंत्र की जो frequency है, उस frequency की हल्की ध्वनि यंत्र के माध्यम से चलायी जा सकती है।

जैसे ही मंत्र की frequency और यंत्रध्वनि की frequency मैच करती है Resonance Effect उत्पन्न होता है एवं मंत्र की उर्जा बहुत अधिक बड जाती है। इसका प्रभाव बहुत अधिक बढ जाता है।

अंतिम रहस्य

इसके अतिरिक्त भी बहुत गहन रहस्य हैं जिससे मानसिक जप का प्रभाव बढाया जा सकता है, शक्ति चक्रों के केन्द्रों आदि पर मंत्रजप करने के विधान आदि से भी प्रभाव बहुत अधिक बढाया जा सकता है।

इन्हें धीरे-धीरे अपने अधिकारी योग्य शिष्यों को उद्घाटित करेंगे, जिससे बिना चतुर्गुणित किये ही त्वरित मंत्र सिद्धि इस कलियुग में भी सम्भव हो पायेगी।

rbenjwal

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