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नर्मदेश्वर cosmic connection

नमश्शिवाय,

नर्मदेश्वर cosmic connection

वैज्ञानिकों ने नर्मदेश्वरलिंगों पर कुछ शोध किये हैं और यह पाया है कि जो नर्मदेश्वर सम्भावना है कि किसी Meteorites के द्वारा पृथ्वी पर आये हैं। ये सदैव से पृथ्वी पर नहीं रहे हैं और इनकी संरचना भी ऐसी है कि जो अन्य किसी नदी के पत्थरों से मेल नहीं खाती। ये उनसे कई अधिक सघन और ठोस हैं। और इनमें आयरन एवं निकिल की मात्रा बहुत अधिक है जो कि Meteorites में पायी जाती है। इनमें कमजोर मै​ग्नेटिक उर्जा क्षेत्र भी पाया गया है, जो कि Meteorites में पाया जाता है।

हमारे शास्त्रों के अनुसार भी यह बाण का शरीर के टुकडे हैं जो नर्मदा में गिरे हैं। इससे भी इनका cosmic origin सामने आता है।

शोध में एक बहुत ही subtle किन्तु मापने योग्य energy filed की बात भी सामने आयी है। नर्मदा बहुत पुरानी नदी है कई मिलियन वर्ष पुरानी है। क्योंकि ये इसके ही किनारे पाये जाते हैं तो हो सकता है ये subsurface electromagnetic energy को होल्ड करते हों। हालांकि इनपर अभी कोई मान्य वैज्ञानिक शोध नहीं हुआ है।

क्या इनमें रोडियोएक्टिवीटी हो सकती है?

एक बहुत हल्का प्राकृति रेडियशन हो सकता है यदि इसमें कुछ सूक्ष्म मात्रा में रेडियोएक्टिव पदार्थ मिले हों तो। जैसे अत्यन्त सूक्ष्म मात्रा में Thorium or Uranium, लेकिन यह विकिरण लिंग की आकृति के कारण नहीं अपितु रेडियोएक्टिव पदार्थ के कारण आयेगा। यदि उससे कोई देव विग्रह बनाओगे तो वह उसमें भी आयेगा, और कोई खिलौना बनाओगे तो उसमें भी। Black Granite & Basalt से भी मूर्तियां बनायी जाती हैं जिनमें बहुत सूक्ष्म स्तर की रेडियोएक्टिवीटी पायी जाती है। नर्मदेश्वर में भी Quartz, Chalcedony, Basalt होता है अत: नर्मदेश्वर में भी रेडियोएक्टिव पदार्थों के ट्रेस हो सकते हैं। इससे भी सूक्ष्म किन्तु मापने योग्य विकिरण हो सकता है।

सामन्यत: ये Alpha (α) Particles होते हैं जो कि सामन्यत: त्वचा को पार नहीं कर सकते और हानिकारक नहीं होते जब तक निगल न लिये जायें। शायद इसलिए भी लिंग के उपर चढे निर्माल्यादि को ग्रहण न कर चण्ड को चढाने का नियम था।

यह लगातार पानी की धारा, दुग्धपदार्थों के अभिषेक से इस विकिरण में और कमी आ जाती है।

इन पर Kirlian Photography Experiments भी किया गया जिसमें ये हाई वोल्टेज फोटोग्राफ में ये असमान्य चमक के साथ दिखे।

हालांकि इनके चारों ओर कमजोर चुम्बकीय क्षेत्र पाया गया है, इनमें Piezoelectric Effect के कारण mechanical pressure से हल्का सा electric currents उत्सर्जित होता है। तथापि सम्भावाना है गर्भगृह की बनावट, शास्त्रीय कर्मकाण्डों, वैदिक मंत्रों के प्रभाव से इनका इनका उर्जा क्षेत्र बहुत अधिक बढ जाता होगा।

अत: नर्मदेश्वर कोई सामन्य शिवलिंग नहीं, इसीलिए शास्त्र भी कहते हैं कि इनमें प्राण प्रतिष्ठा की आवश्यकता नहीं ये पहले से ही शिव की उर्जा को पूर्ण होते हैं। इनका origin cosmic है।

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