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दिव्य उत्पात एवं उपद्रव - नक्षत्रों, ग्रहों एवं ब्रह्मांडीय संकेतों के आधार पर भविष्य दृष्टि

नमश्शिवाय

दिव्य उत्पात एवं उपद्रव

मनुष्यों के देवताओं की अवज्ञा एवं अविनय पूर्ण व्यवहार, शास्त्रविरुद्ध कार्यों से जो पाप एकत्रित होता है, उससे ही उपद्रव होते हें एवं दिव्य, आन्तरिक्ष और भौम नामक उत्पात उन उपद्रवों को सूचित करते हैं। अत: इन उपद्रव सूचक उत्पातों पर दृष्टि रखनी चाहिए। मनुष्यों के व्यवहार से क्षुब्ध देवता ही इन उपद्रवों को उत्पन्न करते हैं।

जब यह उत्पात दृष्ट हों तो इनकी विधिवत शान्ति करनी चाहिए अन्यथा उपद्रव होने अवश्यंभावी हैं।

इनमें भी सबसे विकट उत्पात सूर्यादि ग्रहों एवं 27 नक्षत्रों में विकृति दृष्ट होना है। इसकी शान्ति आसान नहीं होती एवं किसी न किसी रूप में उपद्रव हो ही जाता है।

कोरोना वायरस 2019 के अन्त समय में सामने आया जिसने बहुत उपद्रव मचाया, और अभी भी कहीं गया नहीं है। इस समय के आस पास हमने जो नक्षत्रों आदि के प्राप्त डेटा पर दृष्टि डाली तो इसी समय पर आर्द्रा नक्षत्र, जिसे ​बीटजियूस नाम से जाना जाता है, में उत्पन्न विकृति का डेटा प्राप्त हुआ।

आर्द्रा नक्षत्र की विकृति

आर्द्रा नक्षत्र की चमक नाटकीय ढंग से 2019 के अन्त में धीमी पड गयी थी। लगभग 3 गुना कम हो गयी थी। वैज्ञानिकों का कथन है कि इसने बहुत सारा द्रव्य बाहर अन्तरिक्ष में फेंक दिया था जिससे उत्पन्न बादलों से इसकी चमक बहुत धीमी पड गयी थी। यह कोई साधारण धीमापन नहीं था ऐतिहासिक था जिसे पूर्व में कभी नहीं देखा गया।

यह स्पष्ट रूप से आर्द्रा में आयी विकृति थी, नक्षत्र का दिव्य उपद्रव जो कि स्पष्ट रूप आने वाले वृहद् उत्पात का सूचक था। इसके पश्चात महामारी, युद्धों का जो दौर प्रारम्भ हुआ था अभी तक शान्त नहीं हुआ है।

भविष्य दृष्टि एवं समाधान

भविष्य जानना है तो अन्तरिक्ष को देखो, देवताओं द्वारा उत्पन्न संकेतों को समझो। समय आने पर सही संकेत पकड में आने पर, उसके विधिवत निराकरण से बहुत वृहद् उपद्रवों को रोका जा सकता है। उन्हें क्षीण किया जा सकता है। इस हेतु तंत्रकुल की स्थापना हेतु प्रयारत है। तथापि एक और दैवीय उत्पात का संकेत प्राप्त हो रहा है।

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