अशोच्यानन्वशोचस्त्वं प्रज्ञावादांश्च भाषसे ।
गतासूनगतासूंश्च नानुशोचन्ति पण्डिताः ॥२.११॥
तन्त्रकुल प्राचीन ज्ञान और आधुनिक आत्मनिर्भरता का संगम तन्त्रकुल वह दिव्यधाम है, जहाँ प्राचीन वैदिक ज्ञान और आधुनिक आत्मनिर्भरता का मेल होता है। सनातन धर्म की रक्षा के प्रति समर्पित तन्त्रकुल केवल एक स्थान मात्र नहीं है, अपितु एक ऐसा क्रांतिकारी आन्दोलन है, जो आध्यात्मिक शक्ति, आत्मनिर्भरता, और सर्वांगीण विकास का पोषण करता है।
विभाजन से विखंडित और परावलंबन से दुर्बल होती इस विश्व-व्यवस्था में, तन्त्रकुल एकता, आत्मनिर्भरता, और आध्यात्मिक सशक्तिकरण का प्रखर दीपस्तम्भ है।
तन्त्रकुल एक ऐसा स्वावलंबी, आध्यात्मिक रूप से सुदृढ़, और धर्मोत्थान के प्रति समर्पित दिव्यधाम है, जो सनातन धर्म के शाश्वत सिद्धांतों की रक्षा करते हुए जीवन के समस्त आयामों में सर्वांगीण विकास को प्रोत्साहित करता है। हमारा उद्देश्य एक ऐसे प्रफुल्लित जीवनतंत्र का निर्माण करना है, जिसमें परम्परा और नवीनता का सुन्दर सामंजस्य हो।
यहाँ, हम ऐसे साधकों का पोषण करते हैं, जो न केवल आध्यात्मिक रूप से जाग्रत हों, बल्कि आत्मनिर्भरता और कर्तव्यबोध से युक्त होकर समाज का नेतृत्व करें।
सतत विकास की विधियों, वैदिक ज्ञान, और सामूहिक उत्थान के प्रति समर्पण द्वारा हम एक ऐसे समाज का निर्माण करना चाहते हैं, जो धर्म का अडिग संरक्षक हो, सतत विकास के क्षेत्र में अभिनव दृष्टिकोण प्रस्तुत करे, और आगामी पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बने।
धर्म की रक्षा हेतु धर्मयोद्धाओं को शास्त्र और शस्त्र, दोनों के माध्यम से प्रशिक्षण व सामर्थ्य प्रदान करना।
सतत विकास की विधियों के माध्यम से अन्न, जल, ऊर्जा और आवश्यक साधनों में पूर्ण आत्मनिर्भरता की प्राप्ति।
वेद, आगम और तंत्र की परम्पराओं का संरक्षण एवं संवर्धन करते हुए ज्ञान के क्षरण का प्रतिरोध।
सनातन मूल्यों की रक्षा के प्रति समर्पित साधकों के लिए एक सुरक्षित, स्वावलंबी आश्रय स्थल का निर्माण।
धार्मिक और आध्यात्मिक ऊर्जा से ओत-प्रोत तन्त्रकुल में होने वाले आगामी महत्वपूर्ण अनुष्ठान, यज्ञ, और संस्कारिक कार्यक्रमों की जानकारी।
प्रशिक्षित आध्यात्मिक योद्धा
कृषि के अंतर्गत भूमि
प्रशिक्षित वैदिक विद्वान
सक्रिय अनुष्ठान और यज्ञ
Tantrakulam is not just a place; it is a living embodiment of Sanatan Dharma and self-reliance. When I first came here, I was amazed by the harmony of spirituality and sustainability woven into every aspect of this ecosystem. From the divine energy of its rituals to the self-sustaining agricultural and energy systems, Tantrakulam has shown me the true meaning of independence and community.
Tantrakulam is not just a place
The training provided here, whether in Vedic knowledge or martial arts, instills not only discipline but also a deep sense of responsibility towards dharma. Tantrakulam has shown me how to live a life that is self-sufficient, spiritually grounded, and in harmony with nature. It is a beacon of hope for those who seek to uphold Sanatan values while embracing the challenges of modern times.
A Proud Participant and Believer in Tantrakulam’s Vision
तन्त्रकुल से जुड़े नवीनतम लेख, संवाद, और विचारशील सामग्री, जो धर्म, आत्मनिर्भरता, और आध्यात्मिक यात्रा पर गहन दृष्टिकोण प्रदान करती है।
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